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संदिग्ध वित्तीय लेनदेन (Suspicious Financial Transaction)  की जांच करने वाली संस्थाएं

संदिग्ध वित्तीय लेनदेन किसी भी देश और समाज के लिए बहुत ही खतरनाक होते हैं। संदिग्ध वित्तीय लेनदेन न सिर्फ हमारे समाज को प्रभवित करते हैं बल्कि ये देश की अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ देते हैं। जिससे इन्हें नियंत्रित करना और पता लगने पर दोषी के खिलाफ कठोर कार्यवाही किया जाना अतिआवश्यक है।

संदिग्ध वित्तीय लेनदेन

भारत में मुख्य रूप से आयकर विभाग (Income Tax Department), प्रवर्तन निदेशालय (ED) और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI)  संदिग्ध वित्तीय लेनदेन की जांच एवं उन्हें नियंत्रित करते हैं। दोषी पाए जाने पर जांच एजेंसी दोषी के विरुध नियमों के तहत कठोर कार्रवाई की जाती है।

Table of Contents

1. आयकर विभाग (Income Tax Department):

आयकर विभाग धन के गैर-कानूनी उपयोग, अंतर्राष्ट्रीय ट्रान्सफर और अन्य वित्तीय गतिविधियों की जांच पड़ताल करता है। भारत में चाहें वेतनभोगी हो या व्यापार करने वाला हो, सभी व्यक्ति और संस्था को आयकर भरना होता है। जिसके आधार पर संदिग्ध वित्तीय लेनदेन का पता चलता है। जांच एजेंसी आयकर विभाग कई तरीकों से संदिग्ध वित्तीय लेनदेन की जाँच करता है, जो निम्न हैं:-

अप्रामाणिक धन की प्राप्ति:

जब कोई व्यक्ति या संस्था धन कमाती है, लेकिन वह इसकी जानकारी आयकर को नहीं देती है। इसमें धन के अंतर्राष्ट्रीय ट्रांसफर, इंटर लिंक्ड लेनदेन, नियम विरुध व्यापार आदि शामिल होते हैं।

अधिक अप्रामाणिक आयकर भरना:

 कुछ व्यक्तियों या संस्थाओं द्वारा धन कमाने के बावजूद आयकर या अन्य टैक्स का भुगतान करने से बचने के लिए अधिक आय को छुपाया जाता है। इसमें अस्थायी लेनदेन, बिना आयकर प्राप्ति की सूचना के आयकर भरने की कोशिश आदि शामिल होते हैं।

गैर-कानूनी वित्तीय लेनदेन:

आयकर विभाग गैर-कानूनी वित्तीय लेनदेन जैसे हवाला, धोखाधड़ी और अन्य वित्तीय अपराध की जांच करता है।

गोपनीयता के नियमों का उल्लंघन करना:

वित्तीय गोपनीयता के नियमों जैसे अनधिकृत धन का वितरण आदि  का उल्लंघन करने की  भी आयकर विभाग द्वारा जाँच की जाती है।

काला धन का लेनदेन करना:

यह संदिग्ध लेनदेन का एक सर्वमान्य रूप है। इसमें धन का लेनदेन गोपनीय रूप से किया जाता है। ऐसे लेनदेन में अकाउंट्स में सही जानकारी नहीं दी जाती है। ऐसे लेनदेन कानूनी रूप से विद्यमान वित्तीय व्यवस्था को नुकसान पहुंचाया जाता है।

गैर-संरचित लेनदेन:

गैर-संरचित लेनदेन वह वित्तीय लेनदेन होता है जिसमें लेनेवाले और देनेवाले के बीच किए गया  लेनदेन नकद रूप में होता है। इस लेनदेन में आमतौर पर भुगतान कार्ड, चेक या बैंक के माध्यम से नहीं होता है।

गैर-संरचित लेनदेन का उपयोग ज्यादातर वित्तीय प्रक्रियाओं में अधिक गोपनीयता को बनाये रखने के लिए किया जाता है, जिससे लेनेवाले और देनेवाले के बीच की पहचान को छुपाया जा सके।

गैर-संरचित लेनदेन का अधिक उपयोग गैर-कानूनी और अनियमित गतिविधियों जैसे धन की धोखाधड़ी, धन का गोपनीय उपयोग या अन्य वित्तीय अपराधों में किया जा जाता है।

कई बार लोग अपने वित्तीय लेनदेन को असंरचित रूप में करते हैं, जिससे वित्तीय प्रणाली को नुकसान होता है और आयकर बचाने का प्रयास किया जाता है।

कैश लेनदेन:

वित्तीय लेनदेन में कई बार कैश का उपयोग किया जाता है। इससे लेनदेन की पूरी प्रक्रिया को नकली और गैर-कानूनी बनाया जाता है।

फर्जी खातों के माध्यम से लेनदेन:

कई बार लोग फर्जी या अनधिकृत खातों का उपयोग करके वित्तीय लेनदेन करते हैं, जिससे वे आयकर और अन्य कानूनी प्रक्रियाओं से बचाने की कोशिश करते हैं।

असंगत या अनियमित लेनदेन:

कई बार लेनदेन में असंगतता या अनियमितता होती है। जैसे अधिक आकार के लेनदेन के लिए कम धन या बिना योग्य लेनदेन करना।

उपरोक्त संदिग्ध वित्तीय लेनदेन की आयकर विभाग जांच करता है और नियमानुसार कार्रवाई करता है। जिससे वित्तीय अपराधों को नियंत्रित किया जा सके है।

2. प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate – ED):

प्रवर्तन निदेशालय गैर-कानूनी ट्रांसफर, धोखाधड़ी, और अन्य वित्तीय अपराधों की जांच और शिकायतों की समीक्षा करता है। यह जांच एजेंसी गैर-कानूनी लेनदेन के प्रकारों को चिन्हित करके इसके विरुद्ध कार्रवाई करता है। जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय विभिन्न प्रकार के संदिग्ध वित्तीय लेनदेन की जांच करती है, जो निम्न हैं:-

हवाला लेनदेन:

हवाला एक प्रकार का अंतर्राष्ट्रीय लेनदेन होता है, जिसमें पैसे को एक देश से दूसरे देश में गोपनीय तरीके से भेजा जाता है। ऐसे लेनदेन में धन को अपराधिक गतिविधियों, जैसे धोखाधड़ी और आतंकवाद आदि के लिए उपयोग किया जाता है।

धोखाधड़ी लेनदेन:

धोखाधड़ी लेनदेन में प्रवर्तन निदेशालय उसी को जांचती है, जब कोई व्यक्ति या संस्था धोखाधड़ी के तत्वों को लेनदेन के रूप में प्रयोग करती है। जैसे धोखाधड़ी के माध्यम से निवेश करना या लोन के लिए आवेदन करना।

गैर-कानूनी लेनदेन:

जब पैसे को अपराधिक गतिविधियों जैसे नारकोटिक्स तस्करी, हवाला, आतंकवाद या भ्रष्टाचार आदि के लिए उपयोग किया जाता है।

अंतर्राष्ट्रीय हस्तांतरण:

प्रवर्तन निदेशालय विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय धन हस्तांतरण की जांच करती है, जो वित्तीय अपराधों के लिए किए जा सकते हैं। यह लेनदेन व्यक्तियों या संस्थाओं के बीच और विभिन्न देशों के बीच होता है। इसमें व्यक्तियों या संस्थाओं द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भ्रष्टाचार से उपार्जित किया गया धन हस्तांतरण भी शामिल होता है।

धन धोखाधड़ी या मनी लांड्रिंग:

प्रवर्तन निदेशालय धन धोखाधड़ी की जांच करती है, जिसमें धन को अपराधिक स्रोतों से उपार्जित किया गया हो और फिर वह धन गैर-कानूनी तरीके से यूज़ किया गया हो।

धन हस्तांतरण और अन्य अपराध:

प्रवर्तन निदेशालय धन हस्तांतरण और अन्य वित्तीय अपराधों की जांच करती है, जैसे कि बैंक घोटाले, अर्थव्यवस्था के खिलाफ आयकर अपराध आदि।

आतंकवाद संबंधित लेनदेन:

आतंकवादी संगठनों और आतंकवादी गतिविधियों को किए गए धन हस्तांतरण की जांच प्रवर्तन निदेशालय द्वारा की जाती है।

कर अपराध (Tax Evasion) संबंधित लेनदेन:

 प्रवर्तन निदेशालय कर अपराध संबंधित लेनदेन की जांच करती है, जैसे कि आयकर अधिनियम और अन्य कर नियमों का उल्लंघन करने के लिए धन को नियम विरुद्ध उपयोग करना।

बिना आधार या अन्य फर्जी खातों के माध्यम से लेनदेन:

ED अक्सर फर्जी खातों के माध्यम से किए गए लेनदेन की जांच करती है, जो वित्तीय अपराधों को छुपाने के लिए उपयोग किए जाते हैं।

नियंत्रण से उपरत व्यक्तियों या संस्थाओं के वित्तीय लेन-देन (Transactions of Evaders or Offenders against Control): ED विभिन्न व्यक्तियों या संस्थाओं के बीच किए गए वित्तीय लेन-देन को जांचती है, जो नियंत्रण के उपरत हो सकते हैं और वित्तीय अपराधों में शामिल हो सकते हैं।

इन्हीं संदिग्ध वित्तीय लेनदेन को ED जांचती है और कानूनी कार्रवाई करती है ताकि वित्तीय अपराधों को रोका और दंडित किया जा सके।

ये विभिन्न प्रकार के वित्तीय अपराधों और अपराधिक गतिविधियों को दिखाने वाले उदाहरण हैं, जिनकी प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जांच की जाती है। यह जांच कानूनी कार्रवाई सुनिश्चिति करने के लिए की जाती है और वित्तीय अपराधों को नियंत्रित करने के लिए नियमों का पालन किया जाता है।

3. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India – RBI):

रिजर्व बैंक भारतीय वित्तीय प्रणाली के नियंत्रक के रूप में काम करता है। गैर-कानूनी वित्तीय गतिविधियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने के लिए तरीके और नीतियों को स्थापित करता है। जांच एजेंसी RBI के अनुसार संदिग्ध वित्तीय लेनदेन निम्न होते हैं:

धोखाधड़ी:

यह लेनदेन वित्तीय प्रक्रिया में धोखाधड़ी का अंश हो सकता है, जैसे अनधिकृत लेनदेन, फर्जी चेक या कार्ड का उपयोग करना, या अन्य तरीकों से धन के अपराधिक उपयोग करना।

धन हस्तांतरण:

यदि कोई धन हस्तांतरण वित्तीय प्रक्रिया को अपराधिक उद्देश्यों के लिए उपयोग करता है, तो वह RBI की देखरेख के अंतर्गत आता है। इसमें हवाला, अंतर्राष्ट्रीय धन हस्तांतरण, या अन्य अपराधिक धन ट्रांसफर शामिल होते है।

गैर-कानूनी लेनदेन:

रिजर्व बैंक गैर-कानूनी लेनदेन जैसे धन धोखाधड़ी, हवाला, या अन्य अपराधिक धन ट्रांसफर की जांच करता है।

अंतर्राष्ट्रीय हस्तांतरण:

यदि किसी अंतर्राष्ट्रीय हस्तांतरण में अपराधिक उपयोग किया जाता है, तो भी यह संदिग्ध लेनदेन के तौर पर माना जाता है और रिजर्व बैंक की जाँच के दायरे में आता है।

कानूनी अपराध से जुड़े लेनदेन:

अगर किसी लेन-देन में कोई कानूनी अपराध का संकेत है, तो वह भी RBI की निगांह में आता है। इसमें धन धोखाधड़ी, वित्तीय अपराध आदि शामिल होते हैं।

वित्तीय अपराध:

रिजर्व बैंक के अनुसार वित्तीय अपराध में बैंक घोटाले, चेक चोरी, नकद पैसे की लेन-देन, नकद पैसे के धन धोखाधड़ी, या बैंकिंग सिस्टम के खिलाफ अपराध शामिल हो सकते हैं।

भ्रष्टाचार:

यदि किसी वित्तीय लेनदेन में भ्रष्टाचार का संकेत हो, तो रिजर्व बैंक ऐसे लेनदेन की जांच करता है और कार्रवाई करता है।

अनियमित धन हस्तांतरण:

रिजर्व बैंक अनियमित धन हस्तांतरण की जांच करता है, जिसमें धन को गैर-कानूनी तरीके से हस्तांतरित किया जाता है या जो व्यक्तिगत लाभ के लिए किया गया हो।

कृषि ऋण के अपराध:

भारत कृषि प्रधान देश है। यहां की अधिकांश जनसंख्या कृषि पर आधारित है। जिसके कारण यहां की जनता द्वारा कृषि से संबंधित या जमीन के आधार पर अत्यधिक लोन लिए जाते हैं। भारत में कृषि लोन इतनी ज्यादा लिए जाते हैं कि जब सरकारें नई-नई बनती हैं तो कृषि लोन को माफ करने के लिए भी कई योजनाएं लाती हैं।

यह सामान्य तौर से देखा गया है कि जब कोई गतिविधि ज्यादा प्रचलित होती है तब उसमें अनियमित होने की भी संभावना बढ़ जाती है। यह अनियमितता कृषि अपराध को जन्म देती है। कृषि ऋण के प्राप्त करने के लिए गलत या गलतजानकारी प्रदान की जांच भी रिजर्व बैंक करता है।

कर अपराध (Tax Offences):

यदि किसी लेनदेन में कोई कर अपराध जैसे आयकर नियमों का उल्लंघन करना आदि दिखाई पड़ता है, तो रिजर्व बैंक उसकी जांच करता है।

अंतर्राष्ट्रीय धन हस्तांतरण:

रिजर्व बैंक अंतर्राष्ट्रीय हस्तांतरण जैसे हवाला और अन्य अंतर्राष्ट्रीय धन हस्तांतरण गतिविधियाँ आदि की जांच करता है।

नियंत्रण से परे लेनदेन:

रिजर्व बैंक नियंत्रण से परे लेनदेन की जांच करता है, जो किसी विशेष वित्तीय नियम या नियमों के विरुध होता है।

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा संदिग्ध लेन-देन की जांच करने के बाद आवश्यक नियमों के तहत कार्यवाही की जाती है जिससे कि वित्तीय अपराधों को रोका और नियंत्रित किया जा सके।

सार

आपने देखा कि विभिन्न प्रकार के क्रिया-कलापों जिनसे संदिग्ध वित्तीय लेनदेन की संभावना हो सकती हैं उन सभी की जांच भारत में आयकर विभाग (Income Tax Department), प्रवर्तन निदेशालय (ED) और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) जैसी जांच एजेंसी द्वारा की जाती है। ऐसे कई क्रिया-कलाप हैं जो उपरोक्त तीनो एजेंसी के दायरे में आते हैं। कहने का आशय यह है कि जब कोई संदिग्ध वित्तीय लेनदेन ज्यादा गंभीर होता है तब उपरोक्त तीनो एजेंसीज मिलकर कार्यवाही करती हैं। इस प्रकार से संदिग्ध वित्तीय लेनदेन को किसी भी कीमत पर रोकना ही रोकना है।

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संदिग्ध वित्तीय लेनदेन (Suspicious Financial Transaction)

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