Digital Arrest – डिजिटल अरेस्ट अथवा Digital House Arrest – डिजिटल हाउस अरेस्ट की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही है. हम सभी लोग समाचार पत्रों एवं मीडिया में डिजिटल अरेस्ट अथवा डिजिटल हाउस अरेस्ट की घटनाएं प्रायः देख – सुन रहे हैं.
डिजिटल अरेस्ट संबंधी इस आर्टिकल में आप डिजिटल अरेस्ट या डिजिटल हाउस अरेस्ट क्या होता है?, क्या यह अरेस्ट लीगल होता है अथवा नहीं?, कोई इसका शिकार कैसे बनता है?, शिकार बनने वाले व्यक्ति के लक्षण, इससे बचाव के तरीके आदि के बारे में जानेंगे. इसके लिए सर्वप्रथम हम यह जानेगें कि डिजिटल अरेस्ट अथवा डिजिटल हाउस अरेस्ट क्या होता है.
Digital Arrest – डिजिटल अरेस्ट अथवा Digital House Arrest – डिजिटल हाउस अरेस्ट क्या होता है?
जब किसी व्यक्ति को सोशल मीडिया, टेलीफोन कॉल, व्हाट्सएप ऑडियो कॉल अथवा व्हाट्सएप वीडियो कॉल आदि के माध्यम से डरा धमका कर उसे अपने ही घर में कैद कर दिया जाता है, तब इसे Digital Arrest – डिजिटल अरेस्ट अथवा Digital House Arrest – डिजिटल हाउस अरेस्ट कहते हैं. इस आर्टिकल में आपकी सुविधा के लिए Digital Arrest – डिजिटल अरेस्ट अथवा Digital House Arrest – डिजिटल हाउस अरेस्ट के स्थान पर आगे हम सिर्फ Digital Arrest – डिजिटल अरेस्ट शब्द का ही इस्तेमाल करेंगें.
Digital Arrest साइबर स्कैम करने का एक नया तरीका है. इसमें साइबर स्कैम करने वाला अपराधी स्वयं को पुलिस, सीबीआई, इंटेलिजेंस, नारकोटिक्स डिपार्टमेंट, ई डी अथवा कस्टम का अधिकारी बताकर व्यक्ति को डरा धमका कर घंटों या कई दिनों तक कैमरे के सामने बैठने के लिए मजबूर कर दिया जाता है. और इस प्रकार उसे परेशान कर उसकी बैंक आदि की पर्सनल डिटेल जबरदस्ती ली जाती हैं अथवा उसे किसी खाते में पैसे ट्रांसफ़र करने के लिए मजबूर किया जाता है.
Digital Arrest – डिजिटल अरेस्ट एक ऐसा शब्द है जो कानून में नहीं है लेकिन इसका यूज़ इसको अंजाम देने वाले लोग करते हैं. इसी आधार पर यह शब्द प्रचालन में आया है.
क्या Digital Arrest वैधानिक है?
जैसा की हम सभी लोगों को फिल्मों के माध्यम से अथवा आमतौर पर यह जानकारी प्राप्त होती है कि किसी व्यक्ति द्वारा जब नियमों के विपरीत कोई कार्य किया जाता है तब उसे पुलिस द्वारा अरेस्ट कर लिया जाता है. नियमों के विपरीत किए गए कार्य के लिए जब व्यक्ति को अरेस्ट किया जाता है तो वह अरेस्ट पूर्णतया वैधानिक होता है. जबकि डिजिटल अरेस्ट में व्यक्ति ठगी के उद्देश्य से किसी निर्दोष व्यक्ति को अपना शिकार बनाता है और उसे डरा धमकाकर उसी के घर में कैद कर मानसिक रूप से परेशान कर उससे पैसे ठग लेता है. इस प्रकार Digital Arrest की पूर्ण रूप से अवैधानिक (Illegal) है.
Digital Arrest करने का मुख्य उद्देश्य?
Digital Arrest – डिजिटल अरेस्ट में पूरी प्रक्रिया को अंजाम देने वाले व्यक्ति का मुख्य उद्देश्य ठगी के माध्यम से पैसा वसूल करना होता है अर्थात ठगी करने वाला व्यक्ति किसी ऐसे व्यक्ति को अपना शिकार बनाता है जो जिसे वह डरा धमकाकर पैसे वसूल सके.
Digital Arrest के कुछ अकड़े
RBI द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार वित्तीय वर्ष 2023 में देश में 30,000 करोड़ रुपये से अधिक के बैंक फ्रॉड केसेस दर्ज किए गए हैं.गत एक दशक में भारतीय बैंक्स में 65,017 फ्रॉड के केसेस प्रकाश में सामने आए हैं. जिसके कारण रूपये 4.69 लाख करोड़ की ठगी हुई है.इसके अलावा बहुत से Unreported केसेस भी हैं.
डिजिटल अरेस्ट के कुछ मामले
यहां पर हम आपको अपने देश में हुए डिजिटल अरेस्ट के कुछ मामलों की जानकारी प्रदान करेंगे हमने यह सभी मामले विभिन्न समाचार पत्रों से लिए हैं जो आपकी जानकारी के लिए नीचे दिए जा रहे हैं.
उत्तर प्रदेश के पीजीआइ लखनऊ की डॉक्टर को ठगों ने 8 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट किए रखा और फिर उनसे अपने 7 अलग-अलग खातों में 2.81 करोड़ रुपए ट्रांसफर करा लिए.डॉक्टर पर मनी लॉड्रिंग का केस अरोपोइत करते हुए दर दिखाया गया.
दिल्ली एनसीआर के नोएडा की महिला डॉक्टर को 2 दिन डिजिटल अरेस्ट करते हुए टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी का फर्जी ऑफिसर बन कर 59 लाख रूपये ठग लिए. इस मामले में महिला के मोबाइल से पोर्न वीडियो सर्कुलेट हुआ है, का भय दिखाकर पैसे ले लिए.
तेलंगाना के हैदराबाद के युवक को उसके नाम वाले पार्सल में ड्रग्स का भय दिखाकर उसे 20 दिनों तक घर पर Digital Arrest – डिजिटल अरेस्ट रख कर 1.20 करोड़ रूपये ठग लिए.
उ0 प्र0 के नोएडा में 79 वर्ष के सेवानिवृत्त मेजर जनरल को 10 से 15 अगस्त तक Digital Arrest – डिजिटल अरेस्ट कर ठगी करने वालों ने आरटीजीएस के माध्यम से 2 करोड़ रु. ट्रांसफर करा लिए. इस मामले में ठगों ने इनके कूरियर में ड्रग्स होने का डर दिखाया.
मध्य प्रदेश के भोपाल में 66 वर्ष के एक रिटायर्ड लेक्चरर से 7 दिनों में 1.30 करोड़ रूपये ठगी कर लिए गए.इस मामले में ठगों ने इनके नाम से पार्सल में अवैध सामग्री पाए जाने का भय दिखाते हुए Digital Arrest – डिजिटल अरेस्ट किया.
उत्तराखंड के देहरादून निवासी महिला को 30 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट कर ठगों ने इस महिला से 10.5 लाख रूपये अपने अकाउंट में ट्रान्सफर करवाए. इस केस में कूरियर में आपत्ति जनक सामान होने का डर दिखाया और केस से बचाने के नाम पर महिला से पैसे वसूल लिए.
कर्नाटक राज्य के सिलिकॉन सिटी बेंगलूरू के 73 वर्ष के बुजुर्ग 6 दिन तक डिजिटल अरेस्ट कर 3.8 करोड़ रूपये ठग लिए. इसमें Digital Arrest -डिजिटल अरेस्ट करने वालों ने बुजुर्ग के नाम से आये पार्सल में ड्रग्स होने का आरोप लगाते हुए डराया.
Digital Arrest कैसे किया जाता है?
Digital Arrest – डिजिटल हाउस अरेस्ट के इस साइबर स्कैम में आमतौर से चार से पांच स्टेप होते हैं.
Digital Arrest का पहला स्टेप – किसी व्यक्ति की सामान्य व्यक्तिगत जानकारी प्राप्त करना
सर्वप्रथम ठगी करने वाला व्यक्ति सोशल मीडिया, ऑनलाइन ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म अथवा अन्य माध्यमों से किसी व्यक्ति की मोबाइल नंबर सहित नाम, शहर का नाम अदि की सामान्य व्यक्तिगत जानकारी प्राप्त करता है.
Digital Arrest का दूसरा स्टेप – व्यक्ति को कॉल करना
सामान्य व्यक्तिगत जानकारी प्राप्त के पश्चात ठगी करने वाला व्यक्ति उस व्यक्ति को फोन कर उसके नाम से संबोधित करता है और उसे यह बताता है कि वह पुलिस, सीबीआई, इंटेलिजेंस, नारकोटिक्स डिपार्टमेंट, ई डी अथवा कस्टम का अधिकारी बोल रहा है. अथवा किसी ऐसे सरकारी विभाग का नाम लेता है जो गलत गतिविधियों को नियंत्रित एवं मॉनिटर करने के लिए स्थापित है.
इसमें ठगी करने वाले व्यक्ति का एक गिरोह होता है जिसमें कई लोग शामिल होते हैं और पुलिस स्टेशन आदि का सेटअप बनाकर वर्दी पहन कर निर्दोष व्यक्ति को वीडियो कॉल करते हैं जिससे उसे प्रथम तौर पर यह लगता है कि फोन करने वाला व्यक्ति सही (पुलिस अथवा सरकारी विभाग का) है.
Digital Arrest का तीसरा स्टेप – डरा धमका कर दहशत पैदा करना
ठगी करने वाला व्यक्ति पीड़ित व्यक्ति पर झूठा आरोप लगता है और उस पर तत्काल कार्रवाई किए जाने का दबाव बनाता है, जिससे पीड़ित व्यक्ति दहशत में आ जाता है. बातचीत के दौरान ठगी करने वाला व्यक्ति पीड़ित व्यक्ति के परिवार के बारे में जानकारी प्राप्त कर लेता है. जिसमें उसके कितने बच्चे हैं? कितनी उम्र है? कहां पढ़ते हैं? इत्यादि. पीड़ित व्यक्ति पर सामान्य रूप से लगाए जाने वाले झूठे आरोप निम्न हैं.
1.आपके लड़के ने एक लड़की के साथ गलत काम किया है. लड़की के माँ बाप पुलिस स्टेशन में आपके लड़के के विरुद्ध शिकायत की है. अगर अपने लड़के को बचाना चाहते हो, तो मैं जो बता रहा हूं उसके हिसाब से कम करो तभी तुम्हारा लड़का बचेगा नहीं तो लड़के को जेल भेज देंगें.
2. आपने गलत तरीके से ऑर्डर करके ड्रग्स या नशीला पदार्थ मंगाया है. आपके आर्डर किये गए पार्सल में चेकिंग के दौरान ड्रग्स या नशीला पदार्थ आदि पाया गया है.
3. आपके खाते में गलत तरीके से या गलत गतिविधियों के माध्यम से पैसा आया है. जैसे मनी लॉन्ड्रिंग आदि.
4. ठगी करने वाले व्यक्ति जब यह जानकारी मिल जाती है कि आप सरकारी कर्मचारी/अधिकारी हैं तो वह कहता है कि आप के ऊपर आपके महिला कर्मचारी/अधिकारी ने यौन शोषण का आरोप लगाया है. उसकी फोटो व विडियो क्लिप हमारे पास हैं.
5. तुम्हारे खिलाफ़ एफ़आईआर दर्ज़ हुई है या तुम्हारे खिलाफ़ महिला ने शिकायत दर्ज़ की है.
6. जब आपकी पोस्टिंग फला जगह थी तब आपने वहां पर बहुत भ्रष्टाचार किया है. इसके सबूत मेरे पास में है.
7. एयरपोर्ट पर एक पार्सल मिला है जिसमे प्रतिबंधित पदार्थ (गांजा, अफीम, ड्रग इत्यादि) मिला है, और इसमें एक पर्ची मिली है जिसमें तुम्हारा नाम लिखा है.
8. तुम्हारी मोबाइल में पोर्न वीडियोज देखे गये हैं.
9. इसी प्रकार से अन्य कोई आरोप पीड़ित व्यक्ति पर ठगी करने वाला व्यक्ति लगाता है. जिससे पीड़ित व्यक्ति दहशत और दबाव में आ जाये.
10. इसी तरह के अन्य आरोप अथवा परिस्थितियों की सूचना जिससे व्यक्ति लोकलज्जा, मुकदमों के डर, गिरफ़्तारी इत्यादि के भय से सहम जाए और पैसे देकर मामले को रफ़ा-दफ़ा करने की सोचता है.
Digital Arrest का चौथा स्टेप – पीड़ित व्यक्ति को अलग-थलग करना
Digital Arrest – डिजिटल अरेस्ट करने वाला ठग पीड़ित व्यक्ति पर कार्यवाही किए जाने का भय दिखाकर यह निर्देश देता है कि इसके बारे में पीड़ित व्यक्ति किसी को ना बताएं. अगर वह किसी को बताता है तो इससे जांच खतरे में पड़ जाएगी फिर वह उसे बचा नहीं पाएगा. इस प्रकार पीड़ित व्यक्ति अपने परिवार, दोस्तों एवं सगे संबंधियों से अलग-थलग हो जाता है, जिससे उसके साथ ठगी करना आसान हो जाता है.
Digital Arrest का पांचवां स्टेप – ठगी को अंजाम देना
Digital Arrest – डिजिटल अरेस्ट अथवा Digital House Arrest – डिजिटल हाउस अरेस्ट की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही है. हम सभी लोग समाचार पत्रों एवं मीडिया में डिजिटल अरेस्ट अथवा डिजिटल हाउस अरेस्ट की घटनाएं प्रायः देख – सुन रहे हैं.
Digital Arrest – डिजिटल अरेस्ट की इस प्रक्रिया में यह स्टेप सबसे महत्वपूर्ण होता है या यू कहें की इसी कार्य को करने के लिए ठगी व्यक्ति इस पूरी प्रक्रिया को अंजाम देते हैं. इसके अंतर्गत ठगी करने वाला व्यक्ति पीड़ित व्यक्ति से विशेष कार्य करने के लिए कहता है इस विशेष कार्य के अंतर्गत निम्न में से कुछ भी हो सकता है:-
1. किसी विशेष खाते में पैसा ट्रांसफर करवाना
2. पीड़ित व्यक्ति से बैंक खाता, पैन नंबर, आधार कार्ड आदि की जानकारी लेना
3. मैलवेयर या किसी ऐप को फ़ोन पर डाउनलोड करवाना
4. बैंक ट्रांजैक्शन के लिए ओटीपी लेना इत्यादि
Digital Arrest के इस पूरे प्रोसेस में पीड़ित व्यक्ति से पैसा वसूलना ही ठगी करने वालों का मुख्य उद्देश्य रहता है.
Digital Arrest का पैसा कहाँ जाता है?
अभी तक हुई पुलिस जांच से ये ज्ञात हुआ है कि इस प्रकार की ठगी में जिन खातों में रकम ट्रांसफर होती हैं वो ज्यादातर श्रमिकों और बेरोजगारों के खाते होते हैं. ठगी की रकम रखने वाले खाते पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु राज्यों सहित अन्य जगहों के व्यक्तियों के पाए गए हैं. ठगी करने वाले कॉलिंग के लिए विदेशी नेटवर्क का यूज करते हैं. इस प्रकार की रकम क्रिप्टो करेंसी और गिफ्ट कार्ड में ट्रांसफर करके तत्काल विदेशों में बाहर भेज दी जाती है.बहुत सारे केसेस में पुलिस मात्र उन व्यक्तियों को ही अरेस्ट कर पाती है, जिनके खातों में धनराशि ट्रांसफर की जाती है और मुख्य आरोपी बचने में कामयाब हो जाते हैं.
Digital Arrest – डिजिटल अरेस्ट से स्वयं को कैसे बचाएं?
अननोन अथवा अवांछित काल से सावधान रहें
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि बैंक इत्यादि कोई भी हमारी व्यक्तिगत जानकारी फोन करके नहीं पूछते हैं और इस संबंध में बैंक्स जागरूकता भी प्रदान करते हैं. मोबाइल फोन पर रिंगिंग टोन अथवा अन्य संदेशों के माध्यम से भी अननोन कॉल से बचने के बारे में हम लोगों को अक्सर जागरूक किया जाता रहता है.
कॉल करने वाले व्यक्ति की वैधता की जांच करें
कॉलर आईडी ऐप के माध्यम से सामान्य तौर से लोग कॉल करने वाले व्यक्ति की जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, परंतु यहां मैं आपको यह विशेष रूप से बताना चाहूंगा की कॉलर आईडी पर कोई भी व्यक्ति किसी भी व्यक्ति के नाम को एडिट कर सकता है. आप भी चाहे तो अपना नाम किसी दूसरे दोस्त यार के मोबाइल से कॉलर आईडी में एडिट कर सकते हैं और जब भी कोई व्यक्ति आपके नंबर को कॉल करेगा तो आपका वास्तविक नाम ना दिख कर एडिट किया हुआ नाम ही दिखाई पड़ेगा.
यदि कोई ऐसी कॉल आती है तो आप तुरंत कॉल काट दें उससे बात ना करें फिर भी अगर वह आपको फोन करता है तो आप उसे नजरअंदाज करें और वास्तविक विभाग से बात करें.
काल के माध्यम से कभी भी व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें
कभी भी फोन पर कॉल के माध्यम से अपनी कोई भी व्यक्तिगत जानकारी किसी को ना दें. जब कभी भी बैंक को कोई आपसे जानकारी प्राप्त करनी होती है या कोई आवश्यक कार्य होता है तो उसके लिए बैंक स्वयं आपको अपनी ब्रांच बुलाते हैं. आपसे कोई भी जानकारी अथवा सूचना मोबाइल फोन पर नहीं प्राप्त करते हैं.
दबाव में आकर कोई निर्णय न लें
जब भी इस प्रकार की कोई कॉल आए तो आप दबाव में ना आए. इसके लिए आप फोन कॉल को काट दें और शांत बैठ जाए. एकाग्रचित होकर एक गहरी सांस लें और फिर सोचें कि ऐसा तो नहीं है कि कोई व्यक्ति आपके साथ गलत करना चाह रहा है.
अपने विश्वसनीय व्यक्ति से बात करें
हम सभी के लाइफ में कोई ना कोई ऐसा व्यक्ति होता है जिससे हम अपनी सभी बातें कर सकते हैं. आपके पास ऐसा कोई फोन कॉल आता है जो आपको संदिग्ध लगता है तो उसके बारे में अपने दोस्त, मित्र, यार, सगे-संबंधी, गर्लफ्रेंड, ब्वॉयफ्रेंड, पत्नी, मां-बाप आदि जिस पर भी आपको विश्वास हो उससे इस बारे में बात करें.
साइबर सुरक्षा की जानकारी रखें एवं स्वयं को अपडेट रखें
एक कहावत है
जानकारी ही बचाव है !
यह कहावत यहां पर सही साबित होती है. साइबर स्सेकैम से बचने के लिए आपको साइबर सुरक्षा की जानकारी रखनी चाहिए और समय-समय पर अपडेट भी रखना चाहिए. ठगी करने वाले अक्सर ऐसी कॉल +92 या दूसरे देशों के नंबरों से करते हैं. कई मामलों में फोन वॉट्सऐप पर आया. अगर कोई पुलिस अधिकारी या अन्य कोई सरकारी अधिकारी फोन करेगा तो वह सीयूजी नंबर से करेगा और नार्मल फ़ोन कॉल करेगा. वेबसाइट पर जाकर उसका नंबर चेक किया जा सकता है.
अगर कोई अंजान व्यक्ति आपको व्हाट्सएप पर किसी अंजन ग्रुप में जोड़ता है तो तुरंत उससे कारण पूछे और किसी भी अंजान ग्रुप से एग्जिट हो जाएँ.
संदिग्ध गतिविधि की सूचना दें
इसके अंतर्गत आप सरकार द्वारा स्थापित पुलिस सहित अन्य पोर्टल पर Digital Arrest की शिकायत दर्ज कराएँ.
Digital Arrest – डिजिटल अरेस्ट से बचाव के लिए स्थापित सरकारी संस्थाएं एवं पोर्टल
भारत सरकार ने साइबर और ऑनलाइन फ्रॉड को रोकने के लिए संचार साथी वेबसाइट में चक्षु पोर्टल लॉन्च किया है. इसके अलावा Digital Arrest की घटनाओं की सूचना नज़दीकी पुलिस स्टेशन या साइबर पुलिस स्टेशन में भी दी जा सकती है.
इसके साथ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर @cyberdost के जरिए भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं.
धोखाधड़ी के प्रयास की सूचना दर्ज करने के लिए राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल www.cybercrime.gov.in
साइबर अपराध हेल्पलाइन 1930
भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम (CERT-In) – https://www.cert-in.org.in/
राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल – https://cybercrime.gov.in/
राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा गठबंधन – https://staysafeonline.org/
निष्कर्ष
हम सभी लोग जानते हैं कि इंटरनेट हम सभी के जीवन को सुविधाजनक बनता है. परंतु इसमें कुछ निहित खतरे भी है, जो व्यक्ति को कभी-कभी परेशानी में डाल देता है. इन्हीं खतरों में से एक खतरा डिजिटल अरेस्ट अथवा डिजिटल हाउस अरेस्ट है. जिसके बारे में हमने आपको ऊपर पूरी विस्तार से जानकारी प्रदान की है. हम और हमारी niveshworld.com की टीम यह आशा एवं विश्वास करती है कि आप इस आर्टिकल को पढ़कर जानकार बनेंगे तथा अपने जानने वालों को यह जानकारी शेयर करेंगे. जिससे आप और आपके जानने वाला कोई भी व्यक्ति इस डिजिटल अरेस्ट अथवा डिजिटल हाउस अरेस्ट जैसे साइबर स्कैम में न फंसे और अपने आप को इस साइबर स्कैम से सुरक्षित रखें.
डिजिटल अरेस्ट एक साइबर स्कैम है. खुद बचें औरों को भी बचाएं.
Digital Arrest के बारे में अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें.
अन्य सम्बंधित पोस्ट पढ़ने के लिए नीचे लिंक्स पर क्लिक करें.
ऑनलाइन ट्रांजैक्शन में स्ट्रांग पासवर्ड बनाने के 13 तरीके !
3 तरीकों से वित्तीय Financial लेने-देन में साइबर सुरक्षा को सुरक्षित बनायें !
संदिग्ध वित्तीय लेनदेन (Suspicious Financial Transaction) की जांच करने वाली संस्थाएं !
संदिग्ध वित्तीय लेनदेन (Suspicious Financial Transaction) क्या होता है?