संदिग्ध वित्तीय लेनदेन की जानकारी रखना आज के समय में हम सबके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। जब हम निवेश की बात करते हैं और उस निवेश से हम कुछ अपनी चाहत एवं लक्ष्य को पूरा करते हैं। तब उस समय हम कई सारे लेनदेन करते हैं। हम अपने हिसाब से सही काम कर रहे होते हैं। लेकिन जानकारी के अभाव में लेनदेन कभी-कभी संदिग्धता की श्रेणी में आ जाते हैं। जिससे हमें कठिनाई का सामना करना पड़ता है।
संदिग्ध वित्तीय लेनदेन (Suspicious Financial Transaction)
संदिग्ध वित्तीय लेनदेन का अर्थ है एक ऐसा वित्तीय लेनदेन, जिसमें लेनदेन में शामिल होने वाले लोगों या संस्था की गतिविधियों में अनियमितता या अविश्वसनीयता दिखाई पड़ती हो। ऐसे लेनदेन से नियमों का उल्लंघन होता है।
संदिग्ध लेनदेन वित्तीय गतिविधियाँ हैं, जो अपनी असामान्य प्रकृति के कारण संदेह पैदा करती हैं। इसमें गैरकानूनी गतिविधियां शामिल होने की संभावना रहती है।
फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट के अनुसार संदिग्ध लेनदेन
भारत में संदिग्ध लेनदेन के बारे में बैंक और अन्य वित्तीय संस्थान केंद्र सरकार की फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट को बताती हैं। फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट के अनुसार निम्न आधारों पर किए गए लेनदेन को संदिग्ध लेनदेन माना जाता है:-
बैंक खाते की गतिविधियों के आधार पर
यदि आपके बैंक खाते में औसत लेनदेन से अचानक अधिक संख्या में लेनदेन होने लगे।
डॉर्मेंट या बंद पड़े खातों में अचानक लेनदेन चालू हो जाए।
आपके व्यवसाय में होने वाले औसत टर्नओवर से अधिक लेनदेन होने लगे।
लेनदेन की प्रकृति के आधार पर
बैंकिंग सुविधाओं जैसे डिमांड ड्राफ्ट, बैंकर्स चेक, एफ डी या अन्य जमा की गतिविधियों में अचानक वृद्धि होने पर।
पैसे के स्रोत का पता न लगना। पैसे के स्रोत, जमा और निकासी के बीच तालमेल न होना।
नियम विपरीत पैसा निकालना और जमा करना।
निवेश की धनराशि को किसी तीसरे व्यक्ति को भेजना।
बाज़ार में जोड़ तोड़ की स्थिति का आभास होना।
इनसाइडर ट्रे़डिंग का प्रकरण होने पर।
कई बैंक खातों का संचालन करना या उनसे संबंध रखना
बिना किसी कारण के कई खातों में धनराशि भेजने पर।
बिना किसी उचित कारण के आपके पास कई बैंक खाते हो या आप कई बैंक खातों के अधिकृत व्यक्ति हों या आपने कई खातों के लिए इंट्रोड्यूसर के रूप में साइन किया हो।
व्यक्ति द्वारा सही पहचान न देने के आधार पर
पहले से चल रहे किसी व्यापार के नाम से मिलते-जुलते नाम से फर्जी खाता खुलवाना।
सही समय पर केवाईसी न करवाना। संदिग्ध खातों व संदिग्ध लेनदेन को रोकने के लिए भारत में प्रत्येक बैंक को यह निर्देश हैं कि वह हर 3 साल में अपने खाता धारकों का केवाईसी जरूर करे। केवाईसी में व्यक्ति के पहचान संबंधी डॉक्यूमेंट का वेरिफिकेशन किया जाता है। केवाईसी न कराने वाले व्यक्ति के खाते में लेनदेन पर रोक लगा दी जाती है। जिससे संदिग्ध खाते की पहचान हो जाती है। यदि व्यक्ति सही होगा तो वह अपना केवाईसी जरूर कराता है।
कभी-कभी असली हकदार की पहचान को लेकर संदेह उत्पन्न हो जाता है।
व्यक्ति द्वारा पहचान के लिए गलत दस्तावेज देकर खाता खुलना खुलवाना, जो सीधे तौर पर आने वाले समय में संदिग्ध लेनदेन की संभावना को जन्म देता है।
लेनदेन की धनराशि के आधार पर
सबसे पहले बैंक यह देखती है कि खाताधारक की वित्तिय हालत इतनी धनराशि जमा करने की है या नहीं है। कहीं वह अपनी क्षमता से अधिक धनराशि तो नहीं अपने खाते में जमा कर रहा है। अगर बैंक को लगता है कि कोई लेनदेन संदिग्ध है। तो बैंक इसके लिए बैंक जाँच करती है। इस बात का भी ध्यान रखा जाता है कि कहीं सीमा पार से आपके खाते मे अधिक पैसे को लेनदेन तो नहीं हुआ है।
किसी व्यक्ति के खाते में सामान्य रूप से जमा की जाने वाली धनराशि की तुलना में एकाएक अत्यधिक धनराशि का लेनदेन होने लगे।
व्यक्ति की वित्तीय क्षमता से अधिक लेनदेन होने लगे। सामान्य तौर से बैंक खाता खोलते समय बैंक आपसे आपके व्यवसाय, नौकरी या पेशे की पूरी जानकारी लेती है। जिसके आधार पर आपकी वित्तीय स्थिति का पता चलता है। यदि आपकी वित्तीय स्थिति से ज्यादा धनराशि का लेनदेन होता है, तो वह संदिग्ध लेनदेन की श्रेणी में आता है।
विदेश से किसी खाते में बड़ी धनराशि का भुगतान दिखाकर धन का लेनदेन होना।
खाताधारक के भुगतान में अचानक बड़े पैमाने पर उतार चढ़ाव का होना।
बाज़ार में बहुत अधिक या बहुत कम दाम में खरीद-बिक्री करना।
इन आधारों पर पाए गए संदिग्ध खातों या संदिग्ध लेनदेन को बैंक या गैर बैंकिंग संस्थाएं फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट को सूचना देती हैं। जिनके आधार पर सम्बंधित के विरुध नियमों के अंतर्गत कार्यवाही की जाती है।
भारत में संदिग्ध लेनदेन को नियंत्रित करने के लिए किये गए उपाय
भारत में विभिन्न प्रकार के वित्तीय लेनदेन में धनराशि की सीमायों का निर्धारण किया गया है। इस से संदिग्ध वित्तीय लेनदेन को नियंत्रित किया जाता है। वित्तीय लेनदेन की सीमा निम्न हैं:
नकद निकासी की सीमा:
बैंक सामान्य तौर पर एटीएम से या काउंटर से नकद निकासी की दैनिक या साप्ताहिक सीमा निर्धारित करती हैं। ये सीमाएँ खाते के प्रकार और बैंक की नीतियों पर निर्भर करती हैं। बैंक सामान्य तौर पर एटीएम से या काउंटर से नकद निकासी की दैनिक सीमा लागू करती हैं, जो सामान्य तौर पर 20,000 रुपये से 50,000 रुपये तक होती है।
नकद जमा की सीमा:
इसी तरह एक खाते में नकद जमा करने की राशि पर निर्धारित समय के भीतर सीमा होती है, सामान्य तौर पर धनराशि छुपाने और धन की धोखाधड़ी से बचाव के लिए बड़ी नकद जमा के लिए अतिरिक्त दस्तावेज़ प्रदान करने की आवश्यकता होती है। बैंक में 50000 या इससे अधिक की धनराशि नकद में जमा करने पर पैन कार्ड अनिवार्य है। नकद जमा की सीमा सामान्य तौर पर 25,000 रुपये से 2 लाख रुपये तक हो सकती है, जो बैंक की नीति पर निर्भर करती है।
ऑनलाइन लेनदेन के लिए सीमा:
बैंक ऑनलाइन या मोबाइल बैंकिंग के माध्यम से पैसे ट्रांसफर करने की राशि पर सीमा लगाती हैं। यह सीमाएँ धोखाधड़ी की गतिविधियों से बचाव के लिए होती हैं। बैंकों द्वारा सामान्य तौर पर ऑनलाइन लेनदेन की सीमा में एक दिन में 1 लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक की धनराशि निर्धारित की गयी है।
NEFT, RTGS, और IMPS के लिए लेनदेन सीमा:
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने NEFT, RTGS, और IMPS के माध्यम से पैसे ट्रांसफर करने के लिए सीमाएँ निर्धारित की हैं। यह सीमाएँ प्रक्रिया के प्रकार और बैंक की नीतियों पर निर्भर करती हैं।
NEFT के लिए लेन-देन सीमा आमतौर पर 2 लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक होती है। RTGS के लिए यह सीमा 2 लाख रुपये से शुरू होती है। IMPS के माध्यम से लेन-देन की सीमा बैंक की नीति पर निर्भर करती है, जो सामान्य तौर पर 1 लाख रुपये से 5 लाख रुपये तक होती है।
विदेशी मुद्रा लेनदेन की सीमा:
व्यक्तियों और व्यवसायों के लिए विदेशी मुद्रा लेनदेन की सीमाएँ निर्धारित हैं, जैसे बिना दस्तावेज़ के और विनियमित स्वीकृति के बिना खरीदी या बेची जा सकने वाली विदेशी मुद्रा की राशि पर सीमा। विदेशी मुद्रा लेनदेन की सीमा व्यक्तियों के लिए 2.5 लाख रुपये प्रति वर्ष निर्धारित है और व्यापारिक उद्देश्यों के लिए यह सीमा 5 लाख रुपये प्रति वर्ष निर्धारित है।
भारत में विभिन्न प्रकार के खातों की बैंकिंग लेनदेन की सीमाएं निम्न निर्धारित हैं:
साधारण बचत खाता (Savings Account):
नकद निकासी की सीमा:
सामान्य तौर पर एटीएम से या काउंटर से निकासी की दैनिक और साप्ताहिक सीमा होती है, जो 20,000 रुपये से 50,000 रुपये तक होती है।
नकद जमा की सीमा:
नकद जमा की सीमा सामान्य तौर पर 25,000 रुपये से 2 लाख रुपये तक होती है।
ऑनलाइन लेनदेन के लिए सीमा: बैंक सामान्य तौर पर ऑनलाइन लेनदेन के लिए दिन में 1 लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक की सीमा लागू करते हैं।
चालू खाता (Current Account):
चालू खाते व्यापारिक गतिविधियों को संचालित करने के लिए होते हैं।
नकद निकासी की सीमा:
चालू खातों की नकद निकासी की सीमा सामान्य तौर पर बहुत अधिक होती है, जो कम्पनी के बिजनेस की आवश्यकताओं के अनुसार निर्धारित की जाती है।
नकद जमा की सीमा:
चालू खातों में नकद जमा की सीमा भी अधिक होती है, जो बिजनेस लेनदेन के लिए आवश्यक होती है।
फिक्स्ड डिपॉजिट खाता (Fixed Deposit Account):
निवेश की सीमा: फिक्स्ड डिपॉजिट खातों में निवेश की कोई विशेष सीमा नहीं होती है, लेकिन निवेश की अवधि को ध्यान में रखते हुए खाता खोला जाता है।
पेंशन खाता (Pension Account):
लेनदेन की सीमा:
पेंशन खातों की लेन-देन सीमा निर्धारित की जाती है, जो सामान्य तौर पर निर्धारित पेंशन राशि से संबंधित होती है।
ये विभिन्न प्रकार की लेनदेन की सीमाएँ बैंक की नीतियों और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की गाइडलाइन्स के अनुसार बदल सकती हैं। ग्राहकों को अपने बैंक से संपर्क करके नवीनतम सीमाओं की जांच करनी चाहिए।
ऊपर दी गयी सीमाएँ और प्रावधान भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा संदिग्ध वित्तीय लेनदेन को रोकने के लिए निर्धारित की जाती हैं। जिससे धोखाधड़ी, फर्ज़, और अन्य अपराधों को रोका जा सके।
आयकर विभाग द्वारा की जाने वाली जाँच:
ऊपर दिए गए बिन्दुओं के अलावा आयकर बिभाग द्वारा भी निम्न की जांच की जाती है:-
अगर आप एफ डी के लिए एक साल में 10 लाख रुपए से ज्यादा पैसा बैंक में जमा करते हैं।
अगर कोई एक वित्तीय वर्ष में अपने खाते में 10 लाख रुपए या उससे अधिक की धनराशि कैश में जमा करता है।
यदि कोई 2 लाख या अधिक की राशि नकद में प्राप्त करता है।
जब कोई किसी 30 लाख या उससे अधिक की प्रॉपर्टी को कैश में खरीदते या बेचते हैं।
शेयर, म्यूचुअल फंड और बॉन्ड में निवेश के लिए 10 लाख से ज्यादा का लेन देन करने पर।
अगर आपके क्रेडिट कार्ड का बिल 1 लाख से ज्यादा है और आप एक बार में इस बिल का कैश में भुगतान करते हैं।
संदिग्ध लेनदेन की पहचान करने के उपाय
एक खाताधारक के रूप में संदिग्ध लेनदेन में आपके बैंक खाते में अनधिकृत क्रेडिट और डेबिट शामिल हैं। बैंक और वित्तीय संस्थानों के मामले में संदिग्ध लेनदेन मनी लॉन्ड्रिंग, धोखाधड़ी, आतंकवाद को वित्तपोषण करना, कर चोरी और अन्य आपराधिक गतिविधियाँ शामिल हैं। वित्तीय घाटे को रोकने और बैंकिंग प्रणाली की अखंडता को बनाए रखने के लिए, ऐसे संदिग्ध लेनदेन की तुरंत पहचान करना महत्वपूर्ण है। संदिग्ध वित्तीय लेनदेन की पहचान करने के लिए नीचे कुछ प्रमुख उपाय दिए गए हैं। जिन्हें अपनाकर आप इनकी आसानी से पहचान कर सकते हैं:
खाते की नियमित निगरानी:
आपको अपने खाते के विवरण और लेनदेन की समय-समय पर नियमित रूप से समीक्षा करनी चाहिए। उन सभी लेनदेन से सावधान रहें जिन्हें आप द्वारा नहीं किया गया है।
अपने खाते के लेनदेन पैटर्न को जानें:
आप अपने खाते में होने वाले लेनदेन से परचित होते हैं। जिसमें आपके द्वारा सामान्य तौर से किए जाने वाले लेन-देन की आवृत्ति, राशि और प्रकार शामिल होते हैं। इन पैटर्न में यदि आप विचलन देखते हैं तो वह निश्चित रूप से एक खतरे का संकेत होता है।
अनधिकृत पहुंच के प्रयास की जांच करें:
आपको असामान्य लॉगिन प्रयासों या अपरिचित उपकरणों से पहुंच के लिए अपने बैंक खातों के लॉगिन के विवरण की निगरानी करनी चाहिए। यदि आपको कोई नोटिस आता है तो तत्काल अपना पासवर्ड बदल लें।
अनचाहे संचार एवं फ़ोन कॉल से सावधान रहें:
आपको उन ई-मेल, कॉल या टेक्स्ट मेसेज से सावधान रहना चाहिए जो आपकी बैंक से होने का दावा करते हैं, खासकर यदि वे व्यक्तिगत या गोपनीय जानकारी का अनुरोध करते हैं। आजकल ये घटनाएँ आम हो गयी हैं।
अपने पासवर्ड, पिन या वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) जैसी संवेदनशील जानकारी के लिए अनचाहे अनुरोधों से सावधान रहें। आपकी बैंक कभी भी ई-मेल या फोन कॉल के माध्यम से ऐसी कोई जानकारी नहीं मांगती है।
ई-मेल और एसएमएस अलर्ट की जांच करें:
आपको ई-मेल या एसएमएस के माध्यम से प्राप्त लेनदेन अलर्ट की वैधता सत्यापित करें। अपराधी आपको कार्रवाई करने से रोकने के लिए फर्जी सूचनाएं भेज सकते हैं। एसएमएस अलर्ट के रूप में प्राप्त किसी भी लिंक पर कभी क्लिक न करें। इस से आपको नुकसान संभावित रहता है।
अपने मोबाइल,लैपटॉप एवं डेस्कटॉप आदि सुरक्षित एवं अपडेट रखें :
आपके मोबाइल,लैपटॉप एवं डेस्कटॉप आदि अप-टू-डेट एंटीवायरस सॉफ़्टवेयर, फ़ायरवॉल और सुरक्षा पैच से सुरक्षित होने चाहिए। आपको बैंकिंग लेनदेन के लिए सार्वजनिक कंप्यूटर या असुरक्षित वाईफाई नेटवर्क का उपयोग नहीं करना चाहिए।
भुगतानकर्ता के बारे में जानें:
फंड भेजने या प्राप्त करने से पहले, आपको भुगतानकर्ता के विवरण की दोबारा जांच करनी चाहिए। इसमें खाता संख्या और नाम शामिल है। बड़े लेनदेन के लिए आपको प्राप्तकर्ता की प्रामाणिकता की जाँच अवश्य करनी चाहिए।
अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें : यहाँ क्लिक करें
संदिग्ध लेनदेन की पहचान होने पर क्या करें?
यदि आप किसी भी संदिग्ध लेनदेन की पहचान करते हैं, तो आपको किसी भी संभावित नुकसान से खुद को सुरक्षित करने के लिए तुरंत निम्नलिखित कार्रवाई करनी चाहिए:
अपने बैंक से संपर्क करें:
यदि आप किसी ऐसे लेनदेन की पहचान करते हैं जिसे आपने अधिकृत नहीं किया है या संदिग्ध लगता है, तो तुरंत बैंक ग्राहक सेवा से संपर्क करें या निकटतम शाखा पर जाएँ। वे आपके खाते को सुरक्षित करने के लिए आवश्यक कदमों के बारे में आपका मार्गदर्शन करेंगे।
अपना कार्ड ब्लॉक करें:
यदि आपके डेबिट कार्ड या क्रेडिट कार्ड की जानकारी लीक हो गई है, तो आगे के अनधिकृत लेनदेन को रोकने के लिए तुरंत बैंक से कार्ड को ब्लॉक करने का अनुरोध करें। इसके अतिरिक्त, आपको तुरंत नया कार्ड जारी करने का अनुरोध करना चाहिए।
पासवर्ड और पिन बदलें:
अपने खाते की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अपना बैंक ऑनलाइन बैंकिंग पासवर्ड, एटीएम पिन और कोई अन्य प्रासंगिक क्रेडेंशियल बदलें।
शिकायत दर्ज करें:
यदि आपको धोखाधड़ी का संदेह है, तो आपको एचडीएफसी बैंक में एक औपचारिक शिकायत दर्ज करनी चाहिए और स्थानीय पुलिस साइबर अपराध इकाई को घटना की रिपोर्ट करनी चाहिए।
संदिग्ध लेनदेन से खुद को कैसे बचाएं?
संदिग्ध लेनदेन से यह आसानी से पता चलता है कि आपका बैंक खाता और लॉगिन डिटेल आदि खतरे में हैं। आपको संदिग्ध लेनदेन से खुद को बचाने के लिए निम्न कदम उठाने चाहिए:
अपने खाते के विवरण और लेनदेन पर कड़ी नजर रखें।
किसी भी अपरिचित या संदिग्ध गतिविधि होने पर अपनी बैंक को तत्काल सूचित करें।
सभी बैंक आजकल अलर्ट की सुविधा प्रदान कर रही हैं। अपने खाते में एक निश्चित सीमा से ऊपर के लेनदेन के लिए अलर्ट सेट करें।
अपने खाते में ऑनलाइन लेनदेन के लिए यूनिक और स्ट्रांग पासवर्ड बनायें।
स्ट्रांग पासवर्ड बनाने के लिए अधिक जानकारी हेतु नीचे दिए गए link पर क्लिक करें।
ऑनलाइन ट्रांजैक्शन में स्ट्रांग पासवर्ड बनाने के 13 तरीके
अतिरिक्त साइबर सुरक्षा के लिए डबल ऑथेंटिकेशन सेट करें।
वैकल्पिक चैनलों के माध्यम से लेनदेन के लिए आपको प्राप्त होने वाले लिंक्स एवं मेसेज को सत्यापित करें।
खाता जानकारी बदलने का अनुरोध प्राप्त होने पर सतर्क हो जाएँ। खाते में व्यक्तिगत जानकारी बदलने के लिए सीधे बैंक से संपर्क करें या बैंक की ऑफिसियल वेबसाइट के माध्यम से ही करें।
“जानकारी ही बचाव है।”
समस्त बैंक अपने ग्राहकों को धोखाधड़ी और संदिग्ध गतिविधियों के बारे में शिक्षित करने में सक्रिय भूमिका निभाते है। हमें बैंक द्वारा समय-समय पर दी जाने वाली जानकारी से अवगत रहना चाहिए।
सार
जरूरत पड़ने पर हम अपने जानने वालों से, दोस्त यार मित्र, नातेदार रिश्तेदार, सगे संबंधी से पैसा लेते भी हैं और उन्हें देते भी हैं। एक खाते से दूसरे खाते में पैसा भेजते और प्राप्त करते हैं। ऐसे में हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि हमारा कोई भी ट्रांजैक्शन बैंक द्वारा निर्धारित सीमा के अन्दर ही होना चाहिए। यदि कोई ट्रांजैक्शन सीमा से ज्यादा हो जाता है तो हमें सम्बंधित कागज़ आदि संभाल कर रखना चाहिए।यदि हम कागजात संभाल कर नहीं रखते हैं तो लेनदेन संदिग्ध वित्तीय लेनदेन की श्रेणी में आ जायेंगें और हमें मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।
अधिक जानकारी के लिए नीचे क्लिक करें।
भारत में संदिग्ध वित्तीय लेनदेन (Suspicious Financial Transaction) की जांच करने वाली संस्थाएं