शेयर बाज़ार में निवेश करने वाले बहुत से निवेशक म्यूच्यूअल फण्ड में भी निवेश करते हैं? क्या आपको मालुम है कि म्यूच्यूअल फण्ड का परफॉरमेंस कैसे चेक किया जाता है. आगे की स्लाइड्स में आप इसके बारे में जानेगें.

पहला है रोलिंग रिटर्न. इसे रोलिंग पीरियड रिटर्न भी कहते हैं. इसके द्वारा एक निश्चित समय अवधि (जैसे एक, दो या तीन वर्ष) में फंड के प्रदर्शन का मूल्यांकन करने के बजाय विभिन्न समय अवधियों में म्यूच्यूअल फण्ड का प्रदर्शन आसानी से देखा जा सकता है.

रोलिंग रिटर्न

दूसरा है शार्प रेश्यो.  इसका उपयोग रिस्क के सापेक्ष रिटर्न मापने में किया जाता है. यदि यह ज्यादा होता है तो इसका अर्थ है कि म्यूच्यूअल फण्ड कम रिस्क में ज्यादा रिटर्न दे रहा है.

शार्प रेश्यो

यह रेश्यो, शार्प रेश्यो का ही एक पार्ट है. यह रेश्यो डाउनसाइड रिस्क के आधार पर यह बताता है कि जब मार्केट नीचे गिर रहा होता है तो उस समय म्यूच्यूअल फंड किस तरह से परफॉर्म करता है. अर्थात म्यूच्यूअल फण्ड विपरीत मार्केट परिस्थितियों में कैपिटल की सुरक्षा करने में सक्षम है या नहीं है.

सॉर्टिनो रेश्यो

इसे रिवॉर्ड टू वोलैटिलिटी रेश्यो के नाम से भी जाना जाता है. यह रेश्यो यह बताता है कि रिस्क के सापेक्ष म्यूच्यूअल फण्ड रिटर्न दे पा रहा है या नहीं. इस रेश्यो का अधिक होना इस बताता है कि म्यूच्यूअल फंड अपने द्वारा लिए जा रहे रिस्क से ज्यादा रिटर्न दे रहा है.

ट्रेनर रेश्यो

पांचवां है अप/डाउन कैप्चर. किसी म्यूच्यूअल फंड का अपसाइड कैप्चर अनुपात यह बताता है कि रैली के दौरान बेंचमार्क की तुलना में म्यूच्यूअल फण्ड का एनएवी कितना बढ़ता है और डाउनसाइड कैप्चर अनुपात यह दर्शाता है कि बेंचमार्क की तुलना में म्यूच्यूअल फण्ड का एनएवी कैसा है.

अप/डाउन कैप्चर