हुंडई इंडिया अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देना, नई उत्पाद लाइनों का विकास और भारतीय बाजार के लिए विशेष रूप से डिजाइन किए गए वाहनों का निर्माण शामिल और तेजी से बढ़ते ईवी बाजार में प्रवेश करने आदि के लिए यह आईपीओ लांच करने जा रही है.
वैश्विक ऑटोमोटिव विश्लेषक फेलिप मुनोज के अनुसार हुंडई उन बहुत कम गैर-भारतीय वाहन निर्माताओं में से एक है, जिसने भारत में सफलता प्राप्त की है. भारत में जनरल मोटर्स, फोर्ड व स्टेलेंटिस विफल रही हैं, जबकि वोक्सवैगन संघर्ष कर रही है.
हुंडई ने आकर्षक अच्छी तरह से डिज़ाइन किए गए उत्पाद के साथ, जिसमें प्रथम श्रेणी की विशेषताएं उपलब्ध हों, खरीदार को आश्चर्यचकित किया है. जिससे यह कंपनी भारत में सफल रही है.
हुंडई द्वारा किए गए इस बढ़े हुए निवेश से भारत में मौजूद मारुति सुजुकी, टाटा मोटर्स और महिंद्रा एंड महिंद्रा जैसे उसके प्रतिस्पर्धियों से प्रतिक्रिया मिलने की संभावना है.
जिसके कारण ये कंपनियां हुंडई के साथ प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए उत्पादन बढ़ाने, अपने स्वयं के निवेश को बढ़ाने और अपने उत्पाद पेशकशों का पुनर्मूल्यांकन करने का विकल्प चुनेगी, जिससे भारतीय उपभोगताओं को अच्छे मूल्य पर बेहतरीन उत्पाद मिल सकेंगे.
हुंडई के आईपीओ के कारण भारतीय ऑटोमोबाइल सेक्टर पर बढ़ते फोकस से कार निर्माणकर्ताओं के बीच मूल्य युद्ध की सम्भावना हो सकती है. जिससे कंपनियों के लाभ मार्जिन पर भी दबाव पड़ सकता है.
हुंडई के आईपीओ के प्रति उत्साह से निवेशकों को हुंडई के प्रतिद्वंद्वियों के शेयर भी अधिक आकर्षक लग सकते हैं, जो उनके प्रतिद्वंद्वियों के शेयर की कीमतों में अधिक उतार-चढ़ाव की स्थिति ला सकते हैं.
कंपनी के आईपीओ सफल होने से विश्व की बहुराष्ट्रीय कम्पनीज (MNCs) भारत में सूचीबद्ध होने के लिए विचार कर सकती हैं. क्योंकि व्यापार करने में अधिक आसानी और देश की अभी तक अप्रयुक्त उपभोग क्षमता का लाभ उठाने के लिए MNCs लालायित हैं.