MF Lite से सम्बंधित जुलाई में सेबी द्वारा एक परामर्श पत्र जारी किया गया. जिसमे सेबी द्वारा बताया गया कि म्यूच्यूअल फण्ड में MF Lite नाम से एक नयी कैटेगरी लाई जा रही है.
भारतीय शेयर बाजार में एक्टिव और पैसिव फंड की दो कैटेगरी प्रचलित हैं. जिसमें निवेश करने के लिए निवेशकों एवं म्युचुअल फंड हाउस के लिए विभिन्न नियम एवं शर्तें विद्यमान है. भारत जैसे विशाल देश में अधिक से अधिक जनता को निवेश की तरफ आकर्षित करने के लिए म्युचुअल फंड में एक विशेष प्रकार की कैटेगरी की शुरुआत की जा रही है, जिसे MF Lite – एमएफ लाइट के नाम से सेबी द्वारा लांच किया जा रहा है. इस MF Lite हेतु विभिन्न नियम एवं शर्तों में शिथिलता के प्रावधान किये गए हैं.
MF Lite – म्यूचुअल फंड लाइट
भारत में शेयर बाज़ार को रेगुलेट करने वाली संस्था SEBI द्वारा म्यूचुअल फंड में एक नई कैटेगरी की शुरुआत की जा रही है, जिसके सम्बन्ध में SEBI की बोर्ड मीटिंग 30 सितम्बर 2024 हो होगी.
SEBI द्वारा शुरुआत की जाने वाली म्यूचुअल फंड की इस नई कैटेगरी का नाम MF Lite – म्यूचुअल फंड लाइट है. म्यूचुअल फंड रेगुलेशन्स द्वारा MF Lite – म्यूचुअल फंड लाइट योजना चालू की जाएगी.
MF Lite पैसिव कैटेगरी के म्यूचुअल फंड्स के लिए लाई जा रही है. जिसके अंतर्गत मात्र इंडेक्स फंड्स और ETFs जैसी पैसिव फंड्स को ही मैनेज किया जायेगा.
MF Lite का उद्देश्य
SEBI द्वारा शुरु की जाने वाली इस नई योजना का मुख्य उद्देश्य पैसिव कैटेगरी के म्यूचुअल फंड्स को बढ़ावा देना है. इसके साथ ही शेयर बाजार में नए म्यूचुअल फंड कम्पनीज के प्रवेश को सरल बनाना भी है.
MF Lite की प्रमुख विशेषताएं
पैसिव फंड्स में रिस्क कम होने के कारण MF Lite रेगुलेशन में नियम आसान बनाए गए हैं. जिसके अंतर्गत वित्तीय क्षेत्र के अनुभव की आवश्यकता को हटा दिया गया है.
MF Lite योजना के अंतर्गत आने वाले फंड हाउस एक्टिव फंड्स से अलग रहेंगें. इन नए नियमों से पुराने फंड्स को नई सुविधा का लाभ उठाने के लिए अपने पैसिव और एक्टिव ऑपरेशंस को अलग-अलग करना होगा. पैसिव और एक्टिव ऑपरेशंस को अलग-अलग करने से रिसोर्सेज का और बेहतर उपयोग हो सकेगा.
MF Lite के तहत म्यूचुअल फंड कम्पनीज के लिए नेटवर्थ की रिक्वायरमेंट 50 करोड़ से घटाकर 35 करोड़ रुपये करने का प्रावधान है.
सेबी के अनुसार प्रायोजक के पास पिछले 5 वर्षों में सकारात्मक नेटवर्थ एवं पिछले 5 वर्षों में से 3 वर्षों में नेट प्रॉफिट होना. इसके साथ ही पिछले 5 वर्षों में औसत लाभ कम से कम 5 करोड़ रूपये होना चाहिए. वर्तमान में औसत लाभ की यह सीमा 10 करोड़ रुपये है.
न्यूनतम एसेट मूल्य 35 करोड़ रूपये प्रस्तावित है तथा लगातार 5 वर्षों तक प्रॉफिट होने की दशा में इसे 25 करोड़ रूपये तक खरीदा जा सकता है.
Alternate Eligibility Route के माध्यम से फंड हाउस लॉन्च करने वाले Proposer के लिए अब फंड हाउस की न्यूनतम नेटवर्थ 75 करोड़ रुपये किये जाने का प्रावधान किया गया है, जबकि वर्तमान में फंड हाउस की नेटवर्थ 150 करोड़ रुपये निर्धारित है.
MF Lite रेगुलेशन के अंतर्गत केवल पैसिव एएमसी को लिंक्ड ब्रोकर्स के माध्यम से 10% तक लेनदेन करने की अनुमति का प्रावधान किया गया है, जबकि वर्तमान में अधिकतम सीमा 5% से अधिक है.
केवल पैसिव एएमसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ), मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ), मुख्य अनुपालन अधिकारी (सीसीओ) और मुख्य निवेश अधिकारी (सीआईओ) के लिए आवश्यक न्यूनतम संयुक्त अनुभव को वर्तमान 30 वर्ष से घटाकर 20 वर्ष किये जाने का प्रावधान किया गया है.
SEBI अपनी इस नई पहल के माध्यम से नए और छोटे फंड हाउस को शेयर बाज़ार में प्रवेश का अवसर देना चाहती है.
कंप्लायंस फॉर्मेलिटीज को कम करना, बाज़ार में निवेशकों एवं छोटे म्यूचुअल फंड कम्पनीज की पैठ बढ़ाना, इन्वेस्टमेंट डायवर्सिफिकेशन को सुविधादायक बनाना, बाजार में तरलता बढ़ाना एवं निवेश के क्षेत्र में नवाचार (इनोवेशन को बढ़ावा देना है आदि MF Lite रेगुलेशन में समाहित हैं.
MF Lite की हाइब्रिड पैसिव फंड्स की कैटेगरी
SEBI की योजना है कि MF Lite के अंतर्गत हाइब्रिड पैसिव फंड्स को पेश किया जाये जिसमें डेट और इक्विटी दोनों प्रकार के फंड्स का लाभ मिल सके.
हाइब्रिड पैसिव फंड्स को 3 कैटेगरी में पेश करने की योजना है.
पहले में डेट और इक्विटी का अनुपात 75:25 होगा, इसे डेट बेस्ड फण्ड कहा जायेगा.
दूसरे में डेट और इक्विटी का अनुपात 50: 50 होगा, इसे बैलेंस्ड फण्ड कहा जायेगा.
तीसरे में डेट और इक्विटी का अनुपात 25:75 होगा, इसे इक्विटी बेस्ड फण्ड कहा जायेगा.
MF Lite से लाभ
विशेषज्ञों का अनुमान है कि MF Lite से शेयर बाज़ार में इन्वेस्टर्स को ज्यादा आसान और सस्ते आप्शन प्राप्त हो सकेंगें.विशेषकर इंडेक्स फंड्स व एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स (ETFs) आदि जैसे पैसिव फंड्स में ज्यादा आप्शन मिल सकेंगें.
MF Lite से रिटेल इन्वेस्टर्स को कम लागत वाली कई नई पैसिव फंड स्कीम में निवेश का मौका मिलेगा.
MF Lite से टोटल एक्सपेंस रेशियो (TER) में कमी आएगी. पैसिव फंड्स में इस समय टोटल एक्सपेंस रेशियो (TER) औसत रूप से लगभग 20 बेसिस प्वाइंट्स है. इससे पैसिव फण्ड को मैनेज करने वाले फंड हाउस की फंड मैनेजमेंट की लागत में कमी आएगी. जिसका लाभ इन्वेस्टर्स को मिलेगा.
नेटवर्थ रिक्वायरमेंट की सीमा 50 करोड़ रूपये से घटाकर 35 करोड़ रुपये होने से भारतीय शेयर बाज़ार में नए म्यूचुअल फंड कम्पनीज के प्रवेश से कम्पटीशन बढेगा एवं इन्वेस्टर्स को ज्यादा आप्शन मिलेंगे.
MF Lite से छोटे इन्वेस्टर्स को कम लागत वाले फंड्स तक पहुंच आसान हो जाएगी.
MF Lite म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में एक नए युग की शुरुआत का संकेतक है. मीडिया सूत्रों के हवाले से प्राप्त जानकारी के अनुसार SEBI की 30 सितम्बर 2024 को होने वाली बैठक में MF Lite पर चर्चा की जाएगी.
निष्कर्ष
इस इस आर्टिकल में आपको म्युचुअल फंड की इस नई कैटेगरी एमएफ लाइट के बारे में विशेष जानकारी प्रदान की गयी है. मैं आशा करता हूं कि आप इस आर्टिकल को पढ़कर अपना ज्ञानवर्धन करते हुए स्वयं एवं अपने जानने वालों को इस योजना में निवेश के बारे में जागरूक करेंगे.
अक्सर पूंछे जाने वाले प्रश्न FAQs
प्रश्न : पैसिव फण्ड क्या होते हैं?
उत्तर : फण्ड पैसिव फंड बाज़ार के लोकप्रिय इंडेक्स की नकल करते हैं. इन फंड्स में रिस्क कम होता है.
प्रश्न : एक्टिव फण्ड क्या होते हैं?
उत्तर : एक्टिव फण्ड को सक्रिय फंड भी कहते हैं. सक्रिय फंड में फंड मैनेजर सभी खरीद और बिक्री के निर्णयों में भाग लेता है. फंड मैनेजर बाजार एवं अर्थव्यवस्था का रिसर्च कर सक्रिय निवेश के साथ फंड का प्रबंधन करता है.
प्रश्न : इंडेक्स फंड क्या होता है?
उत्तर : इंडेक्स फंड चुने हुए स्टॉक मार्केट इंडेक्स के रिटर्न को ट्रैक करता है. चूंकि इंडेक्स फंड एक विशेष प्रकार के इंडेक्स को ट्रैक करते हैं इसलिए ये फण्ड पैसिव फंड के अंतर्गत आते हैं. इंडेक्स फण्ड उन निवेशकों के लिए सबसे अच्छा है, जो म्यूचुअल फंड या अलग-अलग स्टॉक्स में निवेश करने का जोखिम नहीं लेना चाहते हैं, परन्तु स्टॉक मार्केट का लाभ उठाना चाहते हैं. कम खर्चीला और कम जोखिम होने के साथ ही साथ इंडेक्स फंड डायवर्सिफिकेशन को बनाये रखते हैं और निवेशक के लिए आकर्षक रिटर्न उत्पन्न करते हैं.
प्रश्न : टोटल एक्सपेंस रेशियो (TER) क्या होता है?
उत्तर : म्यूच्यूअल फण्ड के रख रखाव और परिचालन आदि पर होने वाले खर्च को टोटल एक्सपेंस रेशियो (TER) कहते हैं.
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