Energy Sector निवेश के लिए बहुत ही आकर्षक क्षेत्र है. यह क्षेत्र जितना महत्वपूर्ण है उतना ही निवेश के लिए लाभप्रद भी है.
एनर्जी मतलब एनर्जी का महत्व हमारे जीवन में सदियों से रहा है. आदिमानव द्वारा आग की खोज से लेकर वर्तमान समय में एटॉमिक एनर्जी एवं ग्रीन हाइड्रोजन तक की लंबी गाथा का अवलोकन करने से यह स्पष्ट हो जाता है कि हमारे जीवन में एनर्जी का अत्यधिक महत्व रहा है और आगे भी रहेगा. आज के समय में एनर्जी का उपयोग अत्यधिक बढ़ गया है. दिन की शुरुआत एनर्जी से होती है और समाप्ति भी एनर्जी से होती है.
आग की खोज से लेकर परमाणु एनर्जी के विकास तक की एनर्जी के विभिन्न प्रकार के रूपों का हमने आविष्कार किया है या उन्हें विकसित किया है. इसमें चाहें परंपरागत एनर्जी के अंतर्गत थर्मल एनर्जी, जल उर्जा, विंड एनर्जी हो या नवीनीकरण एनर्जी के अंतर्गत सोलर एनर्जी, ग्रीन हाइड्रोजन आदि हों.
भारत में उर्जा की खपत :
Energy Sector में निवेश से लाभ का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि जुलाई 2023 तक भारत अपनी स्थापित बिजली क्षमता 423.25 GW के साथ विश्व स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता है. भारत का Energy Sector निवेश की दृष्टि से एक आकर्षक परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है. निवेशक उर्जा मांग वृद्धि, एनर्जी मिक्सिंग और बाजार की गतिशीलता से अपने पोर्टफोलियो को रोशन कर सकते हैं.
Energy Sector में सरकार के योगदान का महत्व :
यह क्षेत्र बहुत विशाल है. मानव उपयोगी रूप में उर्जा की प्राप्ति के लिए इसमें प्रारंभिक अवस्था में अत्यधिक निवेश की आवश्यकता होती है. हम आप इंडिविजुअल रूप से इसमें भागीदार तो बन सकते हैं, परंतु जहां एनर्जी उत्पादन की बात आती है उसमें बड़े स्तर पर बड़े कदम उठाए जाने की आवश्यकता होती है और इसमें निवेश की भी अधिक अवश्यकता होती है. ऐसे में हमारी सरकार ने Energy Sector की महत्ता को समझा और इसके विकास के लिए बहुत से कदम उठाए हैं. इस आर्टिकल में आप सरकार द्वारा Energy Sector के विकास में किए गए उन तमाम प्रयासों भी को देखेंगे, जिससे Energy Sector में दिनों दिन उत्तरोत्तर वृद्धि हो रही है.
Energy Sector हेतु सरकार द्वारा आवंटित बजट :
भारत एक तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था वाला देश है. जहां एनर्जी की ज़रूरतें बहुत तेज़ी से बढ़ रही हैं. सरकार ने नवीकरणीय एनर्जी अर्थात रिन्यूएबल एनर्जी पर वर्ष 2024-25 के बजट में काफी फोकस किया है. सरकार ने इस बजट में National Green Hydrogen Mission (NGHM) के रूपये 600 करोड़ की धनराशि एवं Solar Projects के लिए रूपये 10,000 करोड़ की धनराशि आवंटित की है.
Energy Sector के फण्ड :
जिस समय बजट की घोषणा हुए उसके कुछ दिनों बाद ही SBI म्यूचुअल फ़ंड ने SBI एनर्जी अपॉर्चुनिटीज फ़ंड लॉन्च किया. SBI के इस थीमैटिक फ़ंड ने अपने NFO अवधि के दौरान 6547 करोड़ रुपये की विशाल धनराशि जुटाई. सक्रिय रूप से प्रबंधित डायवर्सिफ़ाइड इक्विटी फंड्स में से यह ICICI Flexi Cap और SBI Multi Cap के बाद तीसरा सबसे बड़ा फ़ंड बन गया.
Energy Sector के विभिन्न फंड्स की परफॉर्मेंस :
Energy Sector में मुख्य रूप से चार फंड अच्छे परफॉर्म कर रहे हैं, जिनका विवरण निम्नवत है:
फण्ड का नाम | 1 माह का रिटर्न | 1 साल का रिटर्न | 3 साल का रिटर्न | 5 साल का रिटर्न |
निप्पॉन इंडिया पावर एंड इंफ्रा फंड | 3.06 % | 82.54 % | 40.24 % | 31.66 % |
टाटा रिर्सोसेज & एनर्जी फंड | 3.92 % | 1.52 % | 20.96 % | 28.98 % |
डी एस पी ब्लैकरॉक नैचुरल रिर्सोसेज ऐंड न्यू एनर्जी फंड | 3.43 % | 56.69 % | 24.87 % | 26.65 % |
एसबीआई एनर्जी ऑपर्च्युनिटीज फंड | 5.06 % | अभी नया फण्ड है. |
इनमें से निप्पॉन इंडिया पावर एंड इंफ्रा फंड की धनराशि एनर्जी फंड्स के अलावा इंफ्रा फंड्स मे भी निवेश की गई है.
ऊपर दी गयी तालिका से यह क्लियर है की एनर्जी सेक्टर्स के फंड्स समय के साथ बेहतरीन रूप से परफॉर्म कर रहे हैं.
Energy Sector फण्ड थीमेटिक होते हैं. जिससे इस फण्ड की 80 % धनराशि इसी सेक्टर की कम्पनीज में इन्वेस्ट होती है. डायवर्सिफ़िकेशन की कमी के कारण थीमैटिक या सेक्टोरल फण्ड किसी ख़ास सेक्टर पर बहुत ज़्यादा जोर देते हैं, जिससे यह फण्ड उतार-चढ़ाव भरा होता है. इसलिए निवेशकों को सलाह दी जाती है कि फण्ड की परफॉरमेंस समय समय पर चेक करते रहें.
Energy Sector के म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लाभ :
Energy Sector में अच्छी संभावना :
भारत Energy Sector में बड़े सुधारों के दौर से गुजर रहा है. Energy Sector लंबी अवधि में अच्छे रिटर्न देने की प्रबल क्षमता रखता है. भारत सहित पूरा विश्व नवीकरणीय एनर्जी और Sustainable विकल्पों की ओर लगातार बढ़ रहा है. Energy Sector में विकास की अच्छी संभावना है. Energy Sector अत्यधिक विविधता भरा क्षेत्र है, इसलिए Energy Sector के फंड प्रत्येक क्षेत्र का लाभ उठा कर उच्च क्षमता वाली कंपनियों में निवेश कर लाभ प्रदान कर सकता है.
दीर्घ अवधि पूंजी वृद्धि :
Energy Sector के फण्ड दीर्घ अवधि में वृद्धि की संभावना वाली कंपनियों की पहचान करते हैं और उन्ही सेक्टर्स की कम्पनीज में निवेश करते हैं. Energy Sector के फण्ड की धनराशि मुख्य रूप से एनर्जी थीम/सेक्टर में लगी कंपनियों की इक्विटी और इक्विटी से संबंधित प्रतिभूतियों में निवेश करती है. जिसके कारण से Energy Sector में निवेश दीर्घकालिक पूंजी वृद्धि उत्पन्न करता है.
विविधीकरण :
Energy Sector के फंड थेमेटिक या सेक्टोरल फंड होते हैं परंतु इन फंड्स में पर्याप्त विविधता पाई जाती है. Energy Sector के फंड उन कम्पनीज में निवेश करते हैं जो प्राकृतिक संसाधनों की खोज, उनका विकास और उत्पादन के साथ ही साथ वितरण और खनन आदि में काम करती हैं. इसके अतरिक्त वैकल्पिक एनर्जी और टेक्नोलॉजी के क्षेत्रों में भी निवेश करते हैं. जिसमें विशेष रूप से नवीकरणीय एनर्जी, Automotive और ऑन-साइट उर्जा उत्पादन, उसका एनर्जी भंडारण और सहायक एनर्जी टेक्नोलॉजीज पर ध्यान केंद्रित किया जाता है. इसलिए थीमेटिक/सेक्टोरल फण्ड होने बावजूद Energy Sector के फंड्स में पर्याप्त विविधता पाई जाती है.
व्यावसायिक प्रबंधन :
यदि आप Energy Sector में निवेश करने में रुचि रखते हैं और आपको स्टॉक मार्किट की जानकारी नहीं है तो अक्सर स्टॉक की पहचान करना और उनमें निवेश करना आपके मुश्किल भरा हो सकता है. ऐसे में Energy Sector के फंड आपके लिए एक अच्छा विकल्प हैं क्योंकि इस क्षेत्र के फंड मैनेजर एनर्जी स्टॉक चुनने पर ध्यान केंद्रित करते हैं, इसलिए आप फण्ड मैनेजर की विशेषज्ञता का लाभ उठाते हुए इन फंड में निवेश कर सकते हैं.
रिन्यूएबल एनर्जी के लाभ :
भारत एक ऐसा देश है जहाँ पर रिन्यूएबल एनर्जी की कीमतें दुनिया में सबसे कम हैं. भारत में सबसे बड़े लिथियम भंडार पाये हैं जो भारत को उर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में अग्रसर करेगा.
भारत का सोलर Energy Sector कई प्रमुख कारकों से अपनी नई ऊचाईयों को प्राप्त कर रहा है. जिसके अंतर्गत सोलर टेक्नोलॉजी की घटती लागत, नवीकरणीय एनर्जी की लगातार बढ़ती मांग, सकारात्मक सरकारी समर्थन और बड़े पैमाने पर स्थापित होने वाली सौर परियोजनाएं आदि शामिल हैं. सोलर Energy Sector में होने वाली यह उल्लेखनीय वृद्धि निवेशकों के लिए आकर्षक संभावनाओं के द्वार खोलती है.
सरकार द्वारा उठाये गए कदम :
‘NET ZERO’ BY 2070 :
वैश्विक स्तर पर 2050 तक नेट जीरो का लक्ष्य निर्धारित किया गया है लेकिन भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने कॉप26 में यह कहा है कि भारत वर्ष 2070 तक नेट जीरो के लक्ष्य को हासिल कर लेगा. अर्थात भारत नेट जीरो का लक्ष्य वैश्विक लक्ष्य से दो दशक बाद प्राप्त करेगा.
भारत को ये लक्ष्य हासिल करने के लिए एनर्जी, उद्योग और परिवहन जैसे अहम क्षेत्रों में अभी इस्तेमाल हो रही तकनीक़ी को छोड़कर कम कार्बन उत्सर्जन वाली तकनीक़ों को चुनना होगा, जिससे उर्जा क्षेत्र में तेज़ी से आर्थिक विकास होगा.
एक अनुमान के मुताबिक वर्ष 2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करने के लिए भारत को सौर उर्जा एवं वायु एनर्जी के उत्पादन में 70 गुना की वृद्धि करनी होगी और इसके उत्पादन को 7,700 GW तक ले जाना होगा. साथ ही साथ बुनियादी ढांचे को भी विकसित करना होगा, जो वार्षिक रूप से 114 मिलियन मीट्रिक टन ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन की क्षमता को भी संभाल सके.
उक्त लक्ष्य प्राप्त करने के लिए उर्जा क्षेत्र में भारी निवेश करना होगा.
Reducing emission intensity of GDP by 45% by 2030, compare to 2005 level.
भारत 2030 तक अपने GDP (सकल घरेलू उत्पाद) की उत्सर्जन तीव्रता को 2005 के स्तर से 45% तक कम करने के लिए प्रतिबद्ध है. इसके लिए टेक्नोलॉजी ट्रान्सफर और ग्रीन क्लाइमेट फंड सहित कम लागत वाले अंतर्राष्ट्रीय वित्त की मदद से 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन (Non Fossil Fule) आधारित एनर्जी संसाधनों से लगभग 50% विद्युत शक्ति की स्थापित क्षमता प्राप्त करेगा. जिससे निवेश आकर्षित होना निश्चय है.
Non-fossil fuel-based generation capacity to 50% by 2030.
भारत ने 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित एनर्जी में 50% विद्युत शक्ति की स्थापना का लक्ष्य रखा है, जिसके लिए ग्रिड में नवीकरणीय एनर्जी के एकीकरण की दिशा में ट्रांसमिशन योजनाओं कार्यान्वयन आदि शामिल है. जिसके विकास के लिए भारी निवेश की जरूरत है.
Increasing carbon sink coverage by 2.5 -3.bn tonnes of CO2 equivalent, by 2030.
इसके लिए एथेनॉल मिक्सिंग या एथेनॉल ब्लेंडिंग या एनर्जी मिक्सिंग की योजनाएं बनाई गयी हैं. नवीकरणीय एनर्जी स्रोतों की पहचान करते हुए उनके विकास पर विशेष फोकस किया जा रहा है.
Reducing projected emissions by 1 billion tonnes from 2021 till 2030.
इसके अंतर्गत वर्ष 2021 से 2030 तक उत्सर्जन को 1 बिलियन टन तक सीमित रखना है.
20% Ethanol blending target by 2025.
सरकार ने नेट जीरो की पॉलिसी को अडॉप्ट करते हुए वर्ष 2070 तक जीरो एमिशन का मानक तय किया है इसके लिए इसके लिए 2025 तक एथेनॉल मिश्रण का टारगेट 20% तय किया गया है.
वर्तमान समय में पेट्रोल में 10 प्रतिशत एथेनॉल मिलाया जाता है. इसका अर्थ यह है कि अभी हमारे देश में 10 प्रतिशत एथेनॉल व 90 प्रतिशत पेट्रोल के साथ उपभोगताओं को पेट्रोल की आपूर्ति की जा रही है. सरकार वर्ष 2025 तक 20 % का लक्ष्य प्राप्त कर लेगी. तब पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथेनॉल और 80 प्रतिशत पेट्रोल होगा. इससे ग्रीन हॉउस गैसों के उत्सर्जन में कटौती होगी. विदेशी मुद्रा-निकासी और आयात पर निर्भरता कम करने के लिए जैव ईंधन के उपयोग को बढ़ाने से निवेश की जरूरत होगी.
500 GW Renewables targeted by 2030.
देश में 500GW नवीकरणीय एनर्जी के उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है. जिसके लिए देश में नवीकरणीय एनर्जी को प्रोत्साहित करने के लिए किए जा रहे उपाय निम्न हैं:
- स्वचालित मार्ग के अंतर्गत 100% तक FDI प्रत्यक्ष विदेशी निवेश.
- 30 जून 2025 तक चालू होने वाली परियोजनाओं के लिए सौर उर्जा और पवन एनर्जी की Inter State बिक्री के लिए Inter State Transmission System (ISTS) शुल्क में छूट.
- वर्ष 2029-30 तक Renewable Purchase Obligation (RPO) के लिए प्रक्षेप पथ.
- बड़े पैमाने पर नवीकरणीय एनर्जी परियोजनाओं की स्थापना के लिए Ultra-Mega Renewable Energy Parks की स्थापना.
- पीएम-कुसुम, सोलर रूफटॉप फेज, 12000 MW CPSU योजना फेज जैसी योजनाओं का संचालन.
- नवीकरणीय एनर्जी की निकासी के लिए Green Energy Corridor Scheme के अंतर्गत नई ट्रांसमिशन लाइन्स की स्थापना और नए सब-स्टेशन क्षमता का निर्माण.
- सौर फोटोवोल्टिक प्रणाली की स्थापना के लिए मानकों की अधिसूचना जारी करना.
- निवेश को आकर्षित करने और सुविधा प्रदान करने के लिए Project Development Cell की स्थापना.
सरकार ने नेट जीरो की पॉलिसी को अडॉप्ट करते हुए वर्ष 2070 तक जीरो एमिशन का मानक तय किया है. इसके लिए इसके लिए 2025 तक एथेनॉल मिश्रण का टारगेट 20% तय किया गया है. 2030 तक नवीनीकरण एनर्जी के क्षेत्र में 500 गीगावॉट का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.
सार
निफ्टी एनर्जी में निवेश करना उन निवेशकों के लिए अच्छा विकल्प हो सकता है जो अपने पोर्टफोलियो को Energy Sector के स्टॉक्स के साथ विविधित करना चाहते हैं. भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा एनर्जी उपभोक्ता है और तेज आर्थिक विकास की बदौलत आने वाले दशकों में इसकी एनर्जी मांग चौगुनी हो जाएगी. वर्तमान में, भारत को अपनी जरूरतें पूरा करने के लिए खपत का 90% तेल, 80% औद्योगिक कोयला और 40% प्राकृतिक गैस का आयात करना होता है.
Energy Sector में लम्बे समय में विकास के लिए आशाजनक संभावनाएं विद्यमान हैं. सरकार के बढ़ते फोकस के कारण एनर्जी केंद्रित फंड में निवेश करना लम्बी अवधि के लिए लाभदायक है. परन्तु निवेशकों को यहाँ पर सावधानी रखने की सलाह दी जाती है, क्योंकि सेक्टोरल फंड्स अत्यधिक जोखिम भरे होते हैं.
अक्सर पूंछे जाने वाले प्रश्न FAQs :
प्रश्न : नेट जीरो उत्सर्जन क्या है?
उत्तर : नेट जीरो उत्सर्जन का अर्थ है कि कोई देश जितना कार्बन उत्सर्जन करेगा, उस देश को उतनी ही कार्बन सोखने की व्यवस्था भी करनी पड़ेगी, जिससे कि ग्रीन हाउस गैस का जमाव ना होने पाए. इसको नेट जीरो कहा जाता है.
प्रश्न : निफ्टी एनर्जी का अर्थ क्या है?
उत्तर : निफ्टी एनर्जी भारतीय एनर्जी बाजार की गतिशीलता का प्रतिनिधित्व करने वाला सेक्टोरल इंडेक्स है. Energy Sector के प्रदर्शन का विश्लेषण करने वाले निवेशकों के लिए निफ्टी एनर्जी बहुत ही महत्वपूर्ण इंडेक्स है.
प्रश्न : ग्रीन हाइड्रोजन क्या है?
उत्तर : ग्रीन हाइड्रोजन नवीकरणीय ऊर्जा का एक स्रोत है. इसके अंतर्गत बहुत कम कार्बन का उत्सर्जन होता है. इसमें प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले पानी से हाइड्रोजन अणु का उत्पादन किया जाता है. हाइड्रोजन अणु के उत्पादन की प्रक्रिया में ऊर्जा बनती है.
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आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एनर्जी अपॉर्च्युनिटीज फंड.
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